Sunday, October 20, 2013

rajiv dexit speech

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Wednesday, August 29, 2012

कांग्रेस पार्टी और नेहरु गाँधी परिवार वह इस देश के लिए अभिशाप हैं.

मित्रो जिस कांग्रेस पार्टी और नेहरु गाँधी परिवार ने इस देश पर राज किया हैं,वह इस देश के लिए अभिशाप हैं, और देश की हर समस्या के लिए जिम्मेदार हैं.

दोस्तों यहाँ पर में कुछ ऐसे बिंदु प्रकाशित कर रहा हूँ, जो की इस पार्टी व परिवार की
दें हैं.
1. यह पार्टी पूरी तरह से एक मुस्लमान परस्त पार्टी हैं.
2. अपने जन्म से ही यह पार्टी हिंदु विरोधी पार्टी हैं.
3. भगत सिंह को फांसी लगाने का विरोध नहीं किया.
4. खिलाफत आन्दोलन को समर्थन किया.
5. क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताते थे.
6. सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने को मजबूर किया.
7. देश का बंटवारा मंज़ूर किया.
8. यदि बंटवारा हो ही गया था तो पूरी तरह से होना चाहिए था, परन्तु नेहरु-
-गाँधी के कारन से नहीं हो पाया.
9. कश्मीर समस्या नेहरु परिवार की दें हैं.
10. धारा 370 नेहरु परिवार की देन हैं.
11. जब भारतीय सेना आगे बढ़ रही थी तो युद्ध विराम घोषित किया.
12 पूरा कश्मीर भारत के पास आ रहा था, तो नेहरु ने पाकिस्तान के पास एक हिस्सा छोड़ दिया.
13एक हिस्सा चीन के पास जाने दिया.
14. तिब्बत तश्तरी में उठा के चीन को दे दिया.
15. पाकिस्तान को 56 करोड़ रूपये दिए.
16. देश के विभाजन की जिम्मेदार मुस्लिम लीग को सरकार में साझा किया.
17. कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल में डाल दिया, जहाँ पर उनकी संदेहास्पद
अवस्था में मौत हो गयी.
18. 1962 में चीन के सामने शर्मनाक रूप में समर्पण किया.
19. 1971 की जीत को इंदिरा ने 1973 में भुट्टो के सामने हार में बदल दिया.
20. देश में आपातकाल लागू किया.
21. इंदिरा के मरने प् देश में 2०००० सिक्खों का दर्दनाक क़त्ल कर दिया गया.
22. स्वर्ण मंदिर पर हमला किया, और उसे नस्ट कर दिया गया.
23. राजीव गाँधी ने अपने ही तमिल/हिंदु भाइयो पर हमला करने के लिए
श्रीलंका में सेना भेजी, जिसमे हमारे 3००० जवान मारे गए.
24. मुस्लिमो को आरक्षण देना शुरू किया.
25. रामजन्म भूमि का विरोध शुरू किया.
26. राम सेतु को तुडवाना चाहा.
27. साधू संतो का व हिंदु प्रतीकों का अपमान करना शुरू किया.
28 हिंदु को गाली और दुसरे को समर्थन किया.
29. एक लाख औरतो और बच्चो पर रात के समय लाठी व गोली चलवाई.
30. भृष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
31. महंगाई ने लोगो से भोजन भी छीन लिया.
32. एक विदेशी औरत को हमारे सर पर बैठा दिया.
33. प्रधानमंत्री की कुर्शी पर एक ही परिवार का राज हो गया.
34. ओसामा को ओसामा जी व संतो को ठग बताते हैं.
35. मुस्लिम्परस्ती के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.
36. हिंदु होना इस देश में एक गाली के समान हो गया हैं.


मित्रो तनिक विचार करो क्या होगा इस देश का, यह विदेशी गुलामी में चला
गया हैं, इसे एक नयी आज़ादी की ज़रूरत हैं, एक चाणक्य चाहिए, व एक चन्द्र गुप्त की ज़रूरत हैं.
दोस्तों नींद से जागो. सुंदर चहेरो के पीछे मत भागो, वह एक भ्रम हैं, सोच की हम क्या थे और
क्या हो गए हैं. अभी भी समय हैं जाग जाओ....

Saturday, August 25, 2012

इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान राजशी खजाने की लूट की एक भूली बिसरी कहानी

इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान राजशी खजाने की लूट की एक भूली बिसरी कहानी ...............!!!

कहा गया राजस्थान के अम्बर पैलेस का खजाना ......!!!

इंदिरा गाँधी की सरकार के दौरान तीन महीने तक चला था खजाना खोजी अभियान ....

कहा गया अम्बर पैलेस का सोना चांदी ,,हीरे जवाहरात का खरबो का खजाना ..

राजस्थान के अम्बर पैलेस किले पर इंदिरा गांधी द्वारा देश पैर थोपे गए आपातकाल (1975–1977) के दौरान 10 जून 1976 से नबम्बर 1976 तक चली छापेमारी और उस दौरान सेना की यूनिट और आयकर बिभाग की मदद से चलाया गया खोजी अभियान के साथ सेना के ट्रकों के इस्तेमाल के बाबजूद कुछ भी ना मिलने का संदेहास्पद घटनाक्रम ...............!!!

घटना जरा पुरानी है समय था आपातकाल का जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संबिधान की धज्जियाँ उड़ाते हुए देश पर आपातकाल ( Emergency ) थोप कर देश में लोकतंत्र नष्ट कर दिया था ...उस दौरान उन्होंने राजस्थान के प्रसिद्द किले अम्बर पैलेस पर छापामारी करबाई थी ,,उस दौरान इनकम टैक्स की टीम के साथ सेना की एक यूनिट को किले के खजाने को खोजने के लिये भेजा था ..अम्बर पैलेस किले पर छापे के दौरान प्रशासन ने कर्फ्यू की घोषणा कर दी थी ताकि आम जनता को किसी प्रकार की कोई सूचना और जानकारी ना मिल सके .....अम्बर पैलेस में सरकार का यह खजाना खोजी अभियान 10 जून 1976 से नबम्बर 1976 तक चला जिसमे मेटल डिटेक्टर भी प्रयोग किये गए थे ताकि किले की दीवारों में छिपे खजाने को भी खोजा जा सके ....उस खोजी अभियान के बाद बताया गया की सरकार को उस अभियान में किसी प्रकार का कोई खजाना नहीं मिला था ..... पुराने लोग बताते है की उस दौरान सेना के के ट्रकों का काफिला जयपुर से दिल्ली की ओर गया था और जयपुर दिल्ली रोड को आम जनता के लिये बंद कर दिया गया था ,,,,, अब सबाल ये है की दुनिया के सबसे रईस राजसी परिबारो में शामिल महारानी गायत्री देवी और राजा जय सिंह के शाही किले में सरकार का आयकर बिभाग और सेना की पूरी एक यूनिट कई महीने तक खजाने को खोजती रही ..उस दौरान सेना के ट्रको का काफिला अम्बर पैलेस से निकल कर दिल्ली की ओर गया ... जबकि सेना की राजस्थान में यूनिट है तों सेना के ट्रक दिल्ली की ओर क्या करने गए थे अगर उन ट्रकों में खजाना नहीं था तों सेना के बे ट्रक अपनी यूनिट में जो राजस्थान में थी की ओर क्यों नहीं गए ,,,,,,,,,,आखिर उस समय छापे में जब्त किया गया ट्रकों खजाना आज किसके पास है ..............ध्यान देने बाली बात ये भी है की जब अम्बर पैलेस किले में इंदिरा गांधी ने छापा डलबाया था तों उस समय उस किले की शाही माहरानी गायत्री देवी को इंदिरा सरकार ने हिरासत में ले रखा था ,,,,,,,,आज देश में विदेशो में कांग्रेस द्वारा जमा कराये गए काले धन की चर्चा है लेकिन .. कांग्रेस के गुनाह तों देखिये उसने अपने देश के खजाने को खुलेआम लूटने का काम किया था जिसकी यादे आज के समाज के सामने धूमिल सी हो चुकी है ...!!!

Thursday, August 16, 2012

ये हिन्दुस्तान है ..यहाँ पर एक हिंदू को मायावती की मूर्ति तोड़ने पर देशद्रोह, राजद्रोह जैसी धारा मे सज़ा हो सकती है .

लेकिन अमर जवान ज्योति को तोड़ने वाले मुसलमान शकील को सज़ा तो दूर वो आजाद घूम रहा है और कांग्रेस सरकार उसकी सूरक्षा के लिए उसे उल्टे दो पुलिस मुहैया करवा रही है |

मित्रों, सोनिया गाँधी ने एक कानून बनाया था जो मीडिया और बीजेपी के दबाव मे संसद मे पेश नही हो पाया .. उस कानून का नाम है "साम्प्रदायिकता हिंसा निवारण बिल २०११" इसमें पहली ही लाइन लिखी थी कि हिंदू दंगाई होते है और दंगे मे किसी भी मुस्लिम को पुलिस नही पकड़ेगी .

मुंबई के जो कुछ हुआ असल मे सोनिया के इस कानून का पालन है .. कांग्रेस शासित राज्यों मे सोनिया ने अपने इस सपने के कानून को पालन करने का आदेश दे दिया है |


            copy pest

Wednesday, August 15, 2012

मेरा साथी भारतीयों के लिए .... इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में
अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक
इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में
भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में
खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके
बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर
उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया . शान्तिनिकेतन से बहार निकाले जाने के बाद
इंदिरा अकेला हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में
पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के
स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन
का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया.
फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था.
फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित
हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्रीप्रकाश
नेहरू ने चेतावनी दी, कि इंदिरा फिरोज खान के साथ
अवैध संबंध रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और
इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम
महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान
से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने
नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस
शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत
और ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बन्ने
की सम्भावना खतरे में आ गयी. तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम
खान से गांधी कर लो. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में
परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ
एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था.
और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह
बिस्मिल्लाह सरमा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम
बदला था. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह
जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस
प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम
गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक
गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले. इंदिरा गांधी के दो बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी थे .
संजय का मूल नाम संजीव था क्युकी राजीव और संजीव
सुनने में अच्छे लगते थे. संजीव ब्रिटेन में कार चोरी करने
के आरोप में गिरफ्तार हुआ और उसका पासपोर्ट जब्त
किया गया. इंदिरा गांधी की दिशा निर्देश में, भारतीय
राजदूत कृष्णा मेनन अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर संजीव से उसका नाम संजय करवा दिया और एक
नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवा दिया. यह एक ज्ञात तथ्य यह है कि राजीव के जन्म के बाद,
इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी अलग - अलग रहते थे,
लेकिन उन्होंने छवि ख़राब होने के कारण तलाक
नहीं लिया. के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू
राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से
लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक
तथ्यों को सामने रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे
लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद
यूनुस नामक सज्जन का बेटा था. दिलचस्प बात यह है की एक सिख
लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद
यूनुस के घर में ही हुआ था. यूनुस शादी से नाखुश
था क्युकी वह अपनी बहू के रूप में अपनी पसंद की एक
मुस्लिम लड़की के साथ उसकी शादी करना चाहता था.
मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था.
'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और
राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10:
0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के
जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के
साथ किया गया था. यह एक तथ्य है कि संजय गांधी लगातार
अपनी माँ इंदिरा को ब्लाच्क्मैल करते थे की वह
उनको असली पिता के बारे में बताये. संजय
का अपनी माँ पर एक गहरा भावनात्मक नियंत्रण
था जिसका वह अक्सर दुरोपयोग करते थे.
इंदिरा गांधी संजय के कुकर्मों की अनदेखी करती थी और संजय परोक्ष रूप से
सरकार नियंत्रित करता था. जब संजय गांधी की मृत्यु की खबर इंदिरा गांधी के पास
पहुची तो इंदिरा का पहला सवाल था "संजय की चाभी और
घडी कहाँ है ??". नेहरू - गांधी वंश के बारे में कुछ गहरे रहस्य
उन चीजों में छुपे थे. विमान दुर्घटना का होना भी आज तक
एक रहस्य ही है. यह एक नया विमान था जो गोता मारकर
जमीन पर गिरा और उसमे तब तक कोई विस्फोट या आग नहीं थी जब तक वह जमीन पर नहीं गिरा. यह तब
होता है जब विमान में ईंधन ख़त्म हो जाता है. लेकिन
उड़ान रजिस्टर से पता चलता है कि ईंधन टैंक उड़ान से
पहले फुल किया गया था. इंदिरा गांधी ने
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुचित प्रभाव का उपयोग
कर इस दुर्घटना की जांच होने से रोक ली जो अपने आप में संदेहास्पद है. कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru
Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गांधी के
अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है. यह लिखा है
कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन
शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के
सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम
संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के
मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्प
रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and
letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में
अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवर
सिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे.
दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद
इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था . कार
में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस
यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. अफगान
सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर
आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही .
अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह एक सुनसान जगह थी.
वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब
इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर
नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर
लिया (Today we have had our brush with history ".
यहाँ आपको यह बता दे की बाबर मुग़ल साम्राज्य
का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे में
है की नेहरु एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत
तथ्य है.
~ * ~ * ~ * ~ * ~ * ~ यह गिनती करना मुश्किल है आज कितने उच्च
शिक्षा के संस्थानों कैसे राजीव गांधी के नाम पर चल रहे
हैं लेकिन सच यह है की खुद राजीव गांधी कम
क्षमता का एक व्यक्ति था. 1962 से 1965 तक, वह
ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक
अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए नामांकित किया गया था. लेकिन, वह कैम्ब्रिज की डिग्री के
बिना छोड़ दिया, क्योंकि वह परीक्षा पारित
नहीं कर सका. अगले साल 1966 में, वह इंपीरियल कॉलेज,
लंदन, गया लेकिन यहाँ भी डिग्री के
बिना ही उनको जाना पड़ा. ऊपर में के.एन. राव ने कहा कि पुस्तक का आरोप है
कि राजीव गांधी एक कैथोलिक बन गए
सानिया माइनो शादी करने के लिए. राजीव रॉबर्टो बन
गया. उनके बेटे का नाम Raul और बेटी का नाम Bianca है.
काफी चतुराई से एक ही नाम राहुल और प्रियंका के रूप में
भारत के लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं. व्यक्तिगत आचरण में राजीव हमेशा ही एक मुगल
राजा की तरह था. वह 15 अगस्त 1988 को लाल किले
की प्राचीर से गरज कर बोला था : "हमारा प्रयास भारत
को 250-300 साल पहले वाली ऊंचाई तक ले जाने के लिए
होना चाहिए". यह तो औरंगजेब और उसके जेज़िया गुरु
का शाशन काल था जो की नंबर एक का मंदिर विध्वंसक था. " भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद
लन्दन में उनका पत्रकार सम्मेलन बहुत जानकारीपूर्ण था.
इस पत्रकार सम्मेलन में राजीव दावा है कि वह एक
पारसी है और हिन्दू नहीं है . फिरोज खान के पिता और
राजीव गांधी के पैतृक दादा गुजरात के जूनागढ़ क्षेत्र से एक
मुस्लिम सज्जन था. नवाब खान के नाम से यह मुस्लिम पंसारीने एक पारसी महिला को मुस्लिम बनाकर उससे
शादी की थी. इस स्रोत से पता चलता है की वोह अपने आप
को पारसी क्यों कहते थे. ध्यान रहे कि उनका कोई
पारसी पूर्वज नहीं था . उनकी दादी ने पारसी धर्म
को त्याग दिया और नवाब खान शादी के बाद मुस्लिम
बन गयी थी . हैरानी की बात है, पारसी राजीव गांधी का वैदिक संस्कार के अनुसार भारतीय
जनता का पूरा ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार
किया गया था. ~ * ~ * ~ * ~ * ~ * ~ डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं कि सोनिया गांधी के
नाम एंटोनिया माइनो था. उसके पिता एक मेसन था. वह
कुख्यात इटली के फासिस्ट शासन के एक
कार्यकर्ता था और वह रूस में पांच साल की कैद
की सेवा की. वास्तव में सोनिया गांधी ने
कभी पांचवी कक्षा के ऊपर अध्ययन नहीं किया है. वह एक अंग्रेजी शिक्षण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
परिसर में लेनोक्स स्कूल नाम की दुकान से कुछ
अंग्रेजी सीखी है. इस तथ्य से वह प्रतिष्ठित
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करने
का दावा करती थी परन्तु जब डॉक्टर स्वामी ने उनके इस
झूठ पर प्रश्न किये, तो सोनिया ने चुप्पी साध ली और बाद में कह दिया की उनके द्वारा cambridge university
में डिग्री की बात एक "प्रिंटिंग मिस्टेक" है. उसके
बाद सोनिया ने कभी cambridge university में पढने
की बात नहीं स्वीकारी. सत्य यह है की कुछ
अंग्रेजी सीखने के बाद, वह कैम्ब्रिज शहर में एक
रेस्तरां में एक वेट्रेस थी . सोनिया गांधी ब्रिटेन में जिस रेस्तरां में एक वेट्रेस
थी वहां माधवराव सिंधिया अक्सर आते थे क्युकी वह उस
समय cambridge में शिक्षा ले रहे थे. माधवराव
सिंधिया से सोनिया के गर्म रिश्ते थे
जो उसकी शादी के बाद भी जारी रहे . 1982 की एक रात 2
बजे आईआईटी दिल्ली मुख्य गेट के पास एक दुर्घटना हुई थी, जिसमे पुलीस ने श्री सिंधिया के साथ
सोनिया को नशे की हालत में कार से बाहर निकाला था. जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब
प्रधानमंत्री के सुरक्षा कर्मी नई दिल्ली और चेन्नई
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में प्राचीन मंदिर
की मूर्तियां, और अन्य प्राचीन वस्तुओं को भारतीय
खजाने के बक्सों में इटली भेजने जाते थे. मुख्यमंत्री और
बाद में संस्कृति प्रभारी मंत्री के रूप में अर्जुन सिंह इस लूट का आयोजन करते थे. सीमा से अनियंत्रित, वे
इटली में पहुंचा दिए जाते थे जहाँ उन्हें Etnica और Ganpati
नाम के दो शो रूम्स में बेचा जाता था. ये दोनों शो रूम्स
सोनिया गांधी की बहन Alessandra माइनो विंची के
नाम पर हैं. इंदिरा गांधी की मृत्यु उसके दिल या दिमाग में
गोलियों के कारण नहीं हुई बल्कि वह खून की कमी के
कारण मरी थी. इंदिरा गाँधी को गोली लगने के बाद जब
उनका काफी खून बह चूका था उस समय सोनिया ने अजीब
जोर देकर कहा है कि खून बह रहा इंदिरा गांधी को डा.
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ले जाया जाना चाहिए ना की एम्स में जो एक आपात प्रोटोकॉल के लिए और
ठीक इस तरह की घटनाओं के इलाज के लिए उपयुक्त है.
इस प्रकार 24 बहुमूल्य मिनट बर्बाद कर दिए गए . यह
संदिग्ध है कि यह
सोनिया गांधी की अपरिपक्वता या तेजी से सत्ता में
उसके पति को लाने के लिए एक चाल थी. राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया के प्रधानमंत्री के
पद के लिए मजबूत दावेदार थे और वे सोनिया गांधी के
सत्ता के लिए अपने रास्ते में पत्थर थे. उन दोनों के
रहस्यमय दुर्घटनाओं में मृत्यु हो गई. इस बात के प्रचुर तथ्य मौजूद हैं की मायिनो परिवार ने
लिट्टे के साथ अनुबंध किया था जिससे उनकी राजीव
हत्याकांड में भूमिका संदेहास्पद बनती है . आजकल,
सोनिया गांधी काफी एमडीएमके, पीएमके और द्रमुक
जैसे जो राजीव गांधी के हत्यारों की स्तुति के साथ
राजनीतिक गठबंधन में अडिग है. कोई भारतीय विधवा कभी अपने पति के हत्यारों के साथ ऐसा नहीं कर
सकती. ऐसी परिस्थितियों में कई हैं, और एक शक बढ़ा.
राजीव की हत्या में सोनिया की भागीदारी में एक जांच
आवश्यक है. (ISBN 81-220-0591-8) - तुम डॉ.
सुब्रमण्यम स्वामी पुस्तक "आशातीत प्रश्न और
अनुत्तरित प्रश्न राजीव गांधी की हत्या पढ़ सकते हैं. यह इस तरह के षड्यंत्र का संकेत होता है. ~ * ~ * ~ * ~ * ~ * ~ इटली के कानून के अनुसार राहुल और प्रियंका इटालियन
नागरिक हैं क्युकी उन दोनों के जन्म के समय
सोनिया गाँधी एक इटालियन नागरिक थी. 1992 में,
सोनिया गांधी इतालवी नागरिकता कानून के अनुच्छेद
17 के तहत
इटली की उसकी नागरिकता को पुनर्जीवित किया . राहुल गांधी के इतालवी उसकी हिन्दी की तुलना में बेहतर
है. राहुल गांधी एक इतालवी नागरिक तथ्य यह है कि 27
सितंबर 2001 को वह एक इतालवी पासपोर्ट पर
यात्रा करने के लिए बोस्टन हवाई अड्डे, संयुक्त राज्य
अमेरिका में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था से
प्रासंगिक है. यदि भारत में एक कानून बना है कि कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण
पदों पर विदेशी मूल के एक
व्यक्ति को नहीं लाया जा सकता तो राहुल
गांधी को स्वचालित रूप से प्रधानमंत्री पद के लिए
अयोग्य हैं. ~ * ~ * ~ * ~ * ~ * ~ स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद, राहुल गांधी नई
दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश मिल गया,
योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि राइफल शूटिंग के खेल
कोटे पर. 1989-90 में कुछ दिन दिल्ली में रहने के बाद
राहुल ने 1994 में रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा जो एक
christianचैरिटी द्वारा चलाया जाने वाला सी ग्रेड का कॉलेज है , से बी.ए. किया. बस एक बीए करने के लिए
अमेरिका जाने की ज़रूरत किसी को नहीं होती.
इसलिए अगले ही वर्ष, 1995 में उसे एम. फिल
मिला ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से . इस
डिग्री की वास्तविकता आप इसी से समझ सकते हैं
की उन्हें ये डिग्री बिना एमए किये हुवे मिल गयी. इसके पीछे Amaratya सेन की मदद का हाथ माना जाता है.
आप में से कई मशहूर फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस " देख
ही चुके हैं . 2008 में राहुल गांधी ने कानपुर में चन्द्र शेखर आजाद
विश्वविद्यालय के छात्रों की रैली के लिए एक
सभागार का उपयोग करने से रोका गया था. बाद में,
विश्वविद्यालय के कुलपति वी.के. सूरी, को उत्तर
प्रदेश के राज्यपाल द्वारा अपदस्थ किया गया था. 26/11
के दौरान जब पूरे देश के बारे में कैसे मुंबई आतंक से निपटने के लिए तनाव में था, राहुल गांधी आराम से प्रातः 5 बजे तक
अपने दोस्तों के साथ जश्न मना रहा था . राहुल
गांधी कांग्रेस के सदस्यों के लिए तपस्या की सलाह है. वे
कहते हैं, यह सभी नेताओं का कर्तव्य है तपस्या हो.
दूसरी ओर वह एक पूरी तरह सुसज्जित जिम वाले एक
मंत्री वाले बंगला में रहते हैं . इसके अलावा वह दिल्ली के दो सबसे मेहेंगे ५ स्टार जिम के नियमित सदस्य भी हैं,
राहुल गांधी की चेन्नई यात्रा 2009 में तपस्या के लिए
अभियान के लिए पार्टी के 1 करोड़ रुपये से अधिक
खर्च किये . इस तरह की विसंगतियों से पता चलता है
कि राहुल गांधी द्वारा की गई पहलों का कितना महत्व
है. 2007 उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान के दौरान राहुल
गांधी ने कहा कि "अगर नेहरू - गांधी परिवार का कोई
भी सदस्य उस समय सक्रिय होता तो बाबरी मस्जिद
कभी न गिरती."
इस कथन से उनका अपने पूर्वजों के लिए एक वफादारी के
रूप में अपने मुसलमान संबद्धता का पता चलता है. 31 दिसंबर, 2004 को जॉन एम., itty, केरल के
अलाप्पुझा जिले में एक सेवानिवृत्त कॉलेज के प्रोफेसर,
दलील देते है कि केरल में एक रिसॉर्ट में तीन दिनों के
लिए एक साथ रहने के लिए राहुल गांधी और
उसकी प्रेमिका Juvenitta उर्फ वेरोनिका के खिलाफ
कार्रवाई लिया जाना चाहिए. यह अनैतिक तस्करी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपमान के
रूप में वे शादी नहीं कर रहे. वैसे भी, एक और विदेशी बहू के
सहिष्णु भारतीयों पर राज कर रही है. स्विस पत्रिका Schweizer है Illustrierte 11 वीं नवम्बर
1991 अंक से पता चला है कि राहुल
गांधी अपनी मां सोनिया गांधी द्वारा नियंत्रित
अमेरिकी 2 अरब डॉलर के लायक खातों के लाभार्थी था.
2006 में स्विस बैंकिंग एसोसिएशन से एक रिपोर्ट से
पता चला है कि भारतीय नागरिकों की संयुक्त जमा के रूप में अभी तक किसी भी अन्य देश, 1.4 खरब
अमरीकी डॉलर का एक कुल, एक भारत के सकल घरेलू
उत्पाद (जीडीपी) से अधिक का आंकड़ा अधिक से
अधिक कर रहे हैं. इस राजवंश ने भारत के आधे से अधिक
नियम. केंद्र की उपेक्षा कर, बाहर के 28 राज्यों और 7
संघ शासित प्रदेशों की, उनमें से आधे से अधिक समय के किसी भी बिंदु पर कांग्रेस सरकार है. तक राजीव
गांधी ने भारत में मुगल शासन के साथ सोनिया गांधी, रोम
भारत पर शासन करना शुरू कर दिया था. ~ * ~ * ~ * ~ * ~ * ~ इस लेख लिखने के पीछे उद्देश्य भारतीय
नागरिको को उनके प्रिय नेताओ के बारे में जागरूक
करना है और यह बताना है की किस तरह एक परिवार
सदियों से इस देश को खोकला करता आ रहा है और हम
भारतीय चुपचाप उनकी गुलामी करते जा रहे हैं. सबूत के
समर्थन की कमी की वजह से इस लेख में कई अन्य चौंकाने वाला तथ्य नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं.
इन सभी तथ्यों की पुष्टि के लिए आप डॉक्टर
सुभ्रमनियम स्वामी की पुस्तकों या उनकी वेबसाइट देख
सकते हैं

चंद्रशेखर आजाद का मौत का सच

चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस १- गोखले मार्ग मे रखी है .. उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया .. इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था .. लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है ..

उस फ़ाइल मे इलाहब
...ाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसने अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए |
...
नॉट वावर ने अपने बयान मे कहा है कि " मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया उसने कहा कि नेहरु जी ने एक संदेश दिया है कि आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा .. मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया कि अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था वो रूस भागने के लिए बारह सौ रूपये मांग रहा था मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने को कहा है "

फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारो ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया .. पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी |"

27 फरवरी 1931, सुबह आजाद नेहरु से आनंद भवन में उनसे भगत सिंह की फांसी की सजा को उम्र केद में बदलवाने के लिए मिलने गये, क्यों की वायसराय लार्ड इरविन से नेहरु के अच्छे ''सम्बन्ध'' थे, पर नेहरु ने आजाद की बात नही मानी,दोनों में आपस में तीखी बहस हुयी, और नेहरु ने तुरंत आजाद को आनंद भवन से निकल जाने को कहा । आनंद भवन से निकल कर आजाद सीधे अपनी साइकिल से अल्फ्रेड पार्क गये । इसी पार्क में नाट बाबर के साथ मुठभेड़ में वो शहीद हुए थे ।अब आप अंदाजा लगा लीजिये की उनकी मुखबरी किसने की ? आजाद के लाहोर में होने की जानकारी सिर्फ नेहरु को थी । अंग्रेजो को उनके बारे में जानकारी किसने दी ? जिसे अंग्रेज शासन इतने सालो तक पकड़ नही सका,तलाश नही सका था, उसे अंग्रेजो ने 40 मिनट में तलाश कर, अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया । वो भी पूरी पुलिस फ़ोर्स और तेयारी के साथ ?

आज़ाद पहले कानपूर गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पास गए फिर वहाँ तय हुआ की स्टालिन की मदद ली जाये क्योकि स्टालिन ने खुद ही आजाद को रूस बुलाया था . सभी साथियो को रूस जाने के लिए बारह सौ रूपये की जरूरत थी .जो उनके पास नही था इसलिए आजाद ने प्रस्ताव रखा कि क्यों न नेहरु से पैसे माँगा जाये .लेकिन इस प्रस्ताव का सभी ने विरोध किया और कहा कि नेहरु तो अंग्रेजो का दलाल है लेकिन आजाद ने कहा कुछ भी हो आखिर उसके सीने मे भी तो एक भारतीय दिल है वो मना नही करेगा |

फिर आज़ाद अकेले ही कानपूर से इलाहबाद रवाना हो गए और आनंद भवन गए उनको सामने देखकर नेहरु चौक उठा | आजाद ने उसे बताया कि हम सब स्टालिन के पास रूस जाना चाहते है क्योकि उन्होंने हमे बुलाया है और मदद करने का प्रस्ताव भेजा है .पहले तो नेहरु काफी गुस्सा हुआ फिर तुरंत ही मान गया और कहा कि तुम अल्फ्रेड पार्क बैठो मेरा आदमी तीन बजे तुम्हे वहाँ ही पैसे दे देगा |